उत्तराखंड के हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों के लिए 4.80 करोड़ रुपए की लागत से 16 आवास बनाए जाएंगे। इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर सरकार को सौंप दी गई है। उच्च न्यायालय ने भी इस पर जल्द निर्णय लेने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ में देहरादून की एक्ट नाव वेलफेयर सोसाइटी नामक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कुष्ठ रोग उन्मूलन अधिकारी की ओर से यह बात कही गई है। दिए गए हलफनामे में आगे कहा गया है कि डीपीआर राज्य सरकार को सौंपी गई है। अभी सरकार की ओर से वित्तीय स्वीकृति नहीं दी गई है। वहीं अदालत ने इस पर संतोष जताते हुए सरकार को 2 जनवरी तक निर्णय लेने को कहा है। साथ ही सुनवाई के लिए अगले साल 2 जनवरी की तिथि नियत कर दी है। अदालत ने सचिव शहरी विकास और समाज कल्याण विभाग के अलावा हरिद्वार के जिलाधिकारी से कुष्ठ रोगियों के उत्थान के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रम में अभी तक की अनुपालन रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।
बता दें कि संस्था की ओर से मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा गया था कि हरिद्वार जिला प्रशासन ने राष्ट्रपति की यात्रा से पूर्व में अतिक्रमण हटाने के दौरान गंगा नदी के किनारे बसे कुष्ठ रोगियों को भी हटा दिया गया था। तभी से ये बेघर हैं और खुले में आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। यही नहीं सरकार कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं कर रही है।