जब भूतों, चुड़ैलों और डायनों ने सीखी भोजपुरी

हिंदी सिनेमा में रामसे ब्रदर्स और भाखड़ी ब्रदर्स से लेकर राम गोपाल वर्मा और विक्रम भट्ट तक की हॉरर फिल्मों ने बड़े परदे पर अलौकिक और पारलौकिक शक्तियों का एक अलग संसार रचा है। रामसे ब्रदर्स ने अगर मुखौटों वाले भूतों से लोगों को खूब डराया तो राजकुमार कोहली जैसे निर्देशक भी हुए जिन्होंने कभी नागिन तो कभी जानी दुश्मन जैसी फिल्में बनाकर रहस्य और रोमांच में भय का अद्भुत मिश्रण किया। राम गोपाल वर्मा ने डरावनी फिल्मों को खंडहरों, पुराने मंदिरों और हवेलियों से निकालकर मेट्रो की सैर कराई। भोजपुरी सिनेमा में भी समय समय पर हॉरर फिल्में बनती रही हैं, इनमें से कुछ को सफलता भी मिली। आइए आपको बताते हैं ऐसी ही कुछ भोजपुरी हॉरर फिल्मों के बारे में…

बैरी कंगना     

1992 में बनी कुणाल और मीरा माधुरी अभिनीत फिल्म ‘बैरी कंगना’ उन दिनों की सिल्वर जुबली फिल्म थी। इसे भोजपुरी की पहली कामयाब हॉरर फिल्म भी कहा जाता है। इस फिल्म का निर्देशन निहाल सिंह ने किया था। उस समय की यह सबसे ज्यादा चर्चित हॉरर फिल्म थी। फिर इसी नाम को भुनाने के लिए ‘बैरी कंगना 2’ बनी है जिसमें रवि किशन, काजल राघवानी की जोड़ी थी। 2018 में रिलीज हुई इस फिल्म को उतनी सफलता नहीं मिली थी जितनी कुणाल की फिल्म बैरी कंगना को मिली थी।

मंगल फेरा

गोविंदा के भांजे विनय आनंद कई भोजपुरी फिल्मे कर चुके है लेकिन उनको यहां भी उतनी सफलता नहीं मिली। 2013 में भी उनकी हॉरर फिल्म ‘मंगल फेरा’ आई थी। यह भोजपुरी के साथ साथ गुजरती और नेपाली में भी बनी। गायत्री राठौर द्वारा निर्मित इस फिल्म का निर्देशन श्रीधर शेट्टी ने किया था। भोजपुरी में यह फिल्म उतनी सफल तो नहीं रही अलबत्ता इस फिल्म को गुजराती में थोड़ा बहुत पसंद किया गया।

बलमा बिहार वाला 

‘बलमा बिहार वाला 2’ शीर्षक से तो लगता है कि यह कोई रोमांटिक फिल्म होगी। लेकिन ऐसा नहीं है। यह फिल्म पूरी तरह से हॉरर फिल्म है। इस फिल्म में अरविंद अकेला कल्लू और पाखी हेगड़े की जोड़ी है। इस फिल्म को विष्णुशंकर बेलू ने निर्देशित किया था जबकि फिल्म के निर्माता रितेश ठाकुर थे। यह फिल्म 4 मार्च 2016 को रिलीज हुई थी। बिहार और मुंबई में इस फिल्म को अच्छी ओपनिंग मिली।

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