फाल्गुन मास की कांवड़ यात्रा में इस बार धर्मनगरी में श्रावण मास जैसा नजारा नजर आ रहा है। धर्मनगरी की गलियों से लेकर हाईवे पर बम-बम की गूंज सुनाई दे रही है। बाजारों में जहां श्रद्धालु कांवड़ और कांवड़ियों की वेशभूषा खरीदने में जुटे हैं। वहीं गंगा घाटों से कांवड़ में गंगाजल भरकर अपने गंतव्यों की तरफ रवाना हो रहे हैं। शहर के प्रमुख बाजारों में यात्रियों की भीड़ है।
फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि एक मार्च को है। धर्मनगरी का नजारा इस बार श्रावण मास की तरह नजर आ रहा है। बसों, ट्रेनों के साथ ही अपने वाहनों से इस बार कांवड़िया धर्मनगरी गंगाजल लेने के लिए पहुंचे रहे है। दो साल बाद कोरोना संक्रमण का असर कम होने व मौसम में परिवर्तन होने के साथ ही धर्मनगरी में कांवड़ियों की संख्या बढ़ी है। यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब से आनी वाली बसों में बड़ी संख्या में कांवड़ियां आ रहे हैं। इसके बाद कांवड़ियां कांवड़ व अन्य जरूरत का सामान खरीदकर हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर पहुंचकर गंगाजल लेकर अपने गंतव्यों की तरफ रवाना हो रहे हैं। शहर के अपर रोड, बड़ा बाजार, मोती बाजार, ठंडा कुआं बाजार में यात्री माला, कांवड़ियों की वेशभूषा, कृत्रिम फूलों की मालाएं खरीदने में जुटे हैं। वहीं भीमगोड़ा से लेकर हरकी पैड़ी तक अस्थायी दुकान भी सज गई हैं। यहां पर कांवड़ सजाने के लिए खिलौने व अन्य सामान की खरीदारी हो रही है।
फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि एक मार्च को है। धर्मनगरी का नजारा इस बार श्रावण मास की तरह नजर आ रहा है। बसों, ट्रेनों के साथ ही अपने वाहनों से इस बार कांवड़िया धर्मनगरी गंगाजल लेने के लिए पहुंचे रहे है। दो साल बाद कोरोना संक्रमण का असर कम होने व मौसम में परिवर्तन होने के साथ ही धर्मनगरी में कांवड़ियों की संख्या बढ़ी है। यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब से आनी वाली बसों में बड़ी संख्या में कांवड़ियां आ रहे हैं। इसके बाद कांवड़ियां कांवड़ व अन्य जरूरत का सामान खरीदकर हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर पहुंचकर गंगाजल लेकर अपने गंतव्यों की तरफ रवाना हो रहे हैं। शहर के अपर रोड, बड़ा बाजार, मोती बाजार, ठंडा कुआं बाजार में यात्री माला, कांवड़ियों की वेशभूषा, कृत्रिम फूलों की मालाएं खरीदने में जुटे हैं। वहीं भीमगोड़ा से लेकर हरकी पैड़ी तक अस्थायी दुकान भी सज गई हैं। यहां पर कांवड़ सजाने के लिए खिलौने व अन्य सामान की खरीदारी हो रही है।