उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक जनित ठोस अपशिष्ट यानी प्लास्टिक कूड़ा के निस्तारण के मामले में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नियमों का अनुपालन नहीं करने और ठोस कार्य योजना पेश नहीं किए जाने के मामले में कुमाऊं गढ़वाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एसोसिएशन एंड इंडस्ट्री व सिडकुल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन उत्तराखंड को अधिक मोहलत नहीं देते हुए फिलहाल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गत 2 दिसंबर के उद्योगों को बंद करने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। यह रोक सिर्फ 20 दिसंबर तक रहेगी।
अदालत ने तब तक उत्पादकों, निर्माता कंपनियों, ब्रांड मालिकों व आपूर्तिकर्ताओं को भी सीपीसीबी के निमयों के अनुपालन को लेकर ठोस पहल व आचरण पेश करने को कहा है। अदालत ने यह भी साफ-साफ कहा है कि उत्पादकों व निर्माता कंपनियों की पहल आगे की सुनवाई तय करेगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ में हुई। दरअसल, उच्च न्यायालय ने विगत 5 जुलाई 2022 को जितेन्द्र यादव बनाम केन्द्र सरकार नामक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी कर निर्माताओं कंपनियों, उत्पादकों व ब्रांड मालिकों व आपूर्तिकर्ताओं को 10 दिन के अंदर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण करवाने के निर्देश दिए थे और सीपीसीबी के नियमों का अनुपालन नहीं करने वाले उत्पादकों व निर्माताओं पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) को दिए थे। पीसीबी की ओर से सभी उत्पादकों व निर्माताओं को अपना पंजीकरण करवा के साथ ही प्लास्टिक कूड़ा के निस्तारण के मामले में ठोस कार्य योजना पेश करने को कहा गया लेकिन कुछ उत्पादकों व निर्माताओं कंपनियों के अलावा अधिकांश उच्च न्यायालय के निर्देश का अनुपालन करने में विफल रहे। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में पीसीबी ने इसी महीने दो दिसंबर को एक आदेश जारी कर ऐसी कंपनियों, उत्पादकों व निर्माताओं पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकारी अनुमान के अनुसार, इससे प्रदेश में लगभग 1729 उत्पादक व निर्माता प्रभावित हुए। पीसीबी के इस आदेश के खिलाफ कुमाऊं गढ़वाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री व सिडकुल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन उत्तराखंड ने दो अलग अलग याचिका दायर कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सीपीसीबी के नियमों के अनुपालन व प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण के लिए ठोस कार्य योजना पेेश करने के लिए अदालत से 6 महीने की मोहलत मांगी। साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से पीसीबी के दो दिसंबर, 2022 के आदेश पर रोक लगाने की भी मांग की गई। अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया और उन्हें छह माह के बजाय सिर्फ 6 दिन की मोहलत प्रदान करते हुए फिलहाल 20 दिसंबर तक पीसीबी के आदेश को स्थगित कर दिया है।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तिथि तय कर दी। साथ ही अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं से सीपीसीबी के नियमों के अनुपालन के मामले में उत्पादकों, निर्माताओं व आपूर्तिकर्ताओं से अच्छे आचरण व व्यवहार की उम्मीद भी लगायी। आगामी 20 दिसंबर को सभी उत्पादक कंपनियों, निर्माताओं के साथ ही आपूर्तिकर्ताओं को पूरे प्रकरण में ठोस जवाब प्रस्तुत करना होगा।