विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में बदलाव हुए तो नेताओं के मतभेद भी खुलकर सामने आ गए और यह सिलसिला अब भी जारी है। मीडिया में आरोप-प्रत्यारोप के कारण पार्टी को लगातार असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस में किस हद तक नेताओं में मतभेद और मनभेद हैं, यह प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के मध्य हाल ही में हुई तकरार से समझा जा सकता है। प्रीतम सिंह ने हरिद्वार पंचायत चुनाव में पराजय के बाद प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को यह कहकर कठघरे में खड़ा किया कि वह उत्तराखंड को पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं। इस पर पलटवार करते हुए करन माहरा ने कहा कि कुछ लोग ऐसा चश्मा लगाए हैं कि उन्हें प्रदेश प्रभारी की सक्रियता नहीं दिखती।
जवाब में प्रीतम सिंह बोले कि वह चश्मा जरूर लगाते हैं, लेकिन उनकी नजर कमजोर नहीं है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया में अपना दर्द साझा किया कि अब वह राज्य नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति करेंगे। अब अगर 74 वर्षीय बुजुर्ग हरीश रावत को राज्य की राजनीति से संन्यास लेकर दिल्ली का रुख करना पड़ रहा है तो समझा जा सकता है कि कांग्रेस किस हद तक अंदरूनी संघर्ष से गुजर रही है।