उत्‍तराखंड में अब शीतकालीन पर्यटन को सरकार ने कसी कमर, यात्री सुविधाएं जुटाने पर विशेष जोर

केदारनाथ और गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं और यमुनोत्री धामों के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि 19 नवंबर तय हुई है। इसके साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा भी समापन की ओर है।

इसे देखते हुए सरकार ने अब शीतकालीन तीर्थाटन व पर्यटन के लिए कमर कस ली है। इस कड़ी में चारों धामों के शीतकालीन गद्दीस्थलों में यात्री सुविधाएं जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आने वाले दिनों में टिम्मरसैण महादेव, ओम पर्वत, आदि कैलास की यात्राओं पर जोर रहेगा। इसके अलावा नैनीताल, मसूरी समेत पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों में शरदोत्सव के आयोजन की तैयारी है।

इसी कड़ी में चारधाम के शीतकालीन गद्दीस्थलों मुखबा, खरसाली, ऊखीमठ व जोशीमठ के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों में तीर्थाटन के दृष्टिगत व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं। इसके पीछे मंशा यही है कि शीतकाल में भी यात्री इन स्थलों में आएं और वहां उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

शीतकाल में सैलानी उत्तराखंड के मनोरम प्राकृतिक स्थलों का आनंद उठा सकें, इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। शरदोत्सव समेत अन्य आयोजन इसी कड़ी का हिस्सा हैं। साथ ही विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीड़ा केंद्र औली में भी तैयारियां चल रही हैं। यही नहीं, धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों की धारण क्षमता का आकलन भी किया जा रहा है, ताकि इसी हिसाब से यात्रियों व सैलानियों को वहां भेजा जा सके।

हम चाहते हैं कि राज्य में बारामासी पर्यटन हो। इसी क्रम में शीतकाल में तीर्थाटन व पर्यटन के लिए तैयारियों को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है। चारधाम के शीतकालीन गद्दीस्थलों समेत अन्य धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों में व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं। यात्रियों व पर्यटकों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो, इस पर सरकार का विशेष ध्यान है।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *