कारोबारियों को आपराधिक मुकदमों में राहत, दो करोड़ से ऊपर टैक्स होने पर ही चलेगा मुकदमा

जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक में कारोबारियों को बड़ी राहत दी गई। अब दो करोड़ से ऊपर की कर राशि होने पर ही कारोबारियों के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकेगा। अभी यह सीमा एक करोड़ रुपये की थी। बिना मैन्यूफैक्चरिंग किए या सेवा दिए बगैर फर्जी बिल से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के मामले को आपराधिक मुकदमों से कोई छूट नहीं दी गई है। कारोबारियों को जुर्माने की राशि में भी राहत दी गई है। अभी जुर्माना कर राशि के 50 प्रतिशत से लेकर 150 प्रतिशत तक लगाया जाता है। अब यह जुर्माना कर राशि के 25 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक होगा। काउंसिल के फैसले के मुताबिक, जीएसटी नेटवर्क पर गैर पंजीकृत कारोबारी भी अब ई-कामर्स पोर्टल पर सप्लाई दे सकेंगे। वे अपने राज्य में ही ई-कामर्स कंपनियों को सप्लाई दे पाएंगे। ई-कामर्स कंपनी को वस्तुओं की सप्लाई करने के लिए अभी जीएसटी नेटवर्क पर पंजीकृत होना जरूरी है। छोटे कारोबारियों की तरफ से इस प्रविधान को बदलने की मांग की जा रही थी।

शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वर्चुअल तरीके से हुई बैठक में किसी भी वस्तु पर जीएसटी बढ़ाने का फैसला नहीं किया गया। दाल के छिलके और अन्य पशुचारा पर लगने वाले पांच प्रतिशत जीएसटी को समाप्त कर दिया गया। इंश्योरेंस से जुड़े नो क्लेम बोनस को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया। बायो फ्यूल को प्रोत्साहित करने के लिए पेट्रोल में मिलाए जाने वाले इथाइल अल्कोहल पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत करने का भी फैसला किया गया।

वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक के एजेंडा पर 15 आइटम थे, लेकिन सिर्फ आठ आइटम पर विचार किया जा सका। बाकी सात आइटम पर काउंसिल की आगामी बैठक में विचार होगा। बैठक में जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन को लेकर कोई चर्चा नहीं हो सकी। वैसे ही, आनलाइन गेमिंग, हार्स रेसिंग व कैसिनो की जीएसटी दरों को लेकर काउंसिल की बैठक में कोई चर्चा नहीं की गई।

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