ल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अलग-अलग कारण बताकर ड्यूटी से नदारद रहने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। इसके तहत तीन दिन से अधिक पूर्व सूचित अवकाश पर रहने वाले कर्मचारियों का तत्काल वेतन रोक दिया जाएगा। साथ ही, उनके खिलाफ नोटिस जारी होगा, जिसका सात दिन के भीतर जवाब देना जरूरी है। यह नियम लागू होने के साथ वर्तमान में अनुपस्थित कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।
मनमानी छुट्टियों पर एम्स प्रबंधन की यह रोक तब लगी है जब हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों की अनुपस्थिति को लेकर टोका था। इसके बाद सभी विभागाध्यक्षों के साथ हुई बैठक में भी उन्होंने इस बारे में चर्चा की थी। ठीक इसी का जिक्र सफदरजंग अस्पताल के निरीक्षण के दौरान भी स्वास्थ्य मंत्री ने किया और वहां भी नियमों का पालन करने के निर्देश दिए थे।
दरअसल, सरकारी विभागों की तरह एम्स में भी कर्मचारियों के अवकाश को लेकर एक सिस्टम बना हुआ है। जब भी किसी कर्मचारी को लंबी अवधि के लिए अवकाश पर जाना होता है तो वह पहले संबंधित विभागाध्यक्ष या फिर यूनिट प्रमुख को पूर्व में सूचित कर अनुमति लेता है। हालांकि, आकस्मिक कारण आने पर भी कर्मचारी अवकाश ले सकता है, लेकिन वह तीन दिन से अधिक नहीं हो सकता, परंतु वास्तविकता कुछ और है।
कई बार कर्मचारी अपने अनुसार कारण बताकर एक-एक सप्ताह तक ड्यूटी से नदारद रहते हैं। कोविड महामारी के दौरान ऐसे कर्मचारियों की संख्या और भी बढ़ी। इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने लगा। अन्य कर्मचारियों को क्षमता से अधिक कार्य भी करना पड़ रहा था। इसी अव्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने नाराजगी जताई थी।