अधिवक्ता एमपी श्रीविग्नेश ने तर्क रखा है कि करीब 20 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन में पढ़ रहे थे और वर्तमान स्थिति में ऐसे छात्रों के दुखों का कोई अंत नहीं है जिससे उनका जीवन अनिश्चित हो गया है।
![दिल्ली: यूक्रेन से लौटे छात्रों के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने की मांग, हाईकोर्ट में याचिका दायर दिल्ली हाईकोर्ट](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/02/19/750x506/delhi-high-court_1645211628.jpeg)
प्रवासी कानूनी प्रकोष्ठ ने यूक्रेन से लौटने वाले मेडिकल छात्रों के लिए यहां के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा है कि छात्रों का अध्ययन बाधित हुआ है, ऐसे में केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को उनके अध्ययन करने की व्यवस्था करने का निर्देश देने की मांग की है।
अधिवक्ता एमपी श्रीविग्नेश ने तर्क रखा है कि करीब 20 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन में पढ़ रहे थे और वर्तमान स्थिति में ऐसे छात्रों के दुखों का कोई अंत नहीं है जिससे उनका जीवन अनिश्चित हो गया है। याचिका में युद्ध प्रभावित यूक्रेन से बचाए गए भारतीय मेडिकल छात्रों की दुर्दशा की तरफ ध्यान दिलवाते हुए कहा गया है कि कई हजारों युवा पुरुषों और महिलाओं का करियर बाधित हुआ है, इनमें से काफी संख्या में ऐसे हैं, जो पहले ही अध्ययन के पाठ्यक्रम से गुजर चुके हैं।
याची ने कहा कि यूक्रेन से अर्जित मेडिकल डिग्री को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा भी स्वीकार किया जाता है। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में भारत में मेडिकल छात्रों को समायोजित करने के लिए कोई मानदंड या नियम नहीं हैं, जो विदेश में पढ़ रहे हैं। छात्रों को अकादमिक सत्र के बीच में भारत लौटना पड़ा है।