नाबालिग चचेरी बहन से दुष्कर्म करने वाले भाई को न्यायालय ने 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अभियुक्त पर 55 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है और पीड़िता को अर्थदंड से प्रतिकर के रूप में पचास हजार रुपये देने के आदेश दिए हैं। अर्थदंड अदा ना करने पर छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
आरोपित पीड़िता के ताऊ का लड़का अर्थात अपना भाई है। पीड़िता के साथ उस वक्त दुष्कर्म किया गया जब पीड़िता की माता अपने किसी रिश्तेदार के यहां शादी में गयी हुई थी। तहरीर पर कोतवाली चमोली पुलिस ने पोक्सो अधिनियम के तहत आरोपित विरेन्द्र लाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की। घटना के समय पीड़िता की उम्र केवल 11 वर्ष थी, तथा घटना के पश्चात पीड़िता गर्भवती हो गयी थी, जिसका पता पीड़िता की मां को तब चला जब घटना के कुछ समय पश्चात पीड़िता के पेट में दर्द होने लगा। जब पीड़िता की माता ने पुत्री को डाक्टर के पास दिखाया तो पीड़िता का गर्भवती होना पाया गया।
पीड़िता की गर्भावस्था का पता चलने पर मुख्य चिकित्साधिकारी को एक पत्र पीड़िता के गर्भ समापन के आशय से दिया गया। जिसमें कहा गया कि पीड़िता एक कम उम्र की नाबालिग है, जिसके पश्चात जिला चिकित्सालय, गोपेश्वर में पीड़िता का गर्भपात सभी कानूनी कार्यवाही पूर्ण करने के पश्चात किया गया। मामले में अभियोजन पक्ष ने 11 गवाहों को प्रस्तुत किया, जिसके आधार पर न्यायालय ने के तथ्यों को सही पाते हुए अभियुक्त को दोषसिद्ध पाया। न्यायालय में विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मोहन पंत ने मामले की पैरवी की।