पहाड़ में सर्दियों में पाला और मैदानी क्षेत्रों में धुंध व कोहरे की चादर, उस पर सड़कों की खराब सेहत। रही-सही कसर पूरी कर दे रहे हैं पहाड़ में सड़कों पर जगह-जगह बनते भूस्खलन जोन, जिनका उपचार चुनौती बना हुआ है। और तो और, सिस्टम की सुस्ती देखिए कि सड़कों पर यातायात संकेतकों की कमी चालकों का ध्यान भटका रही है, तो पैराफिट, क्रैश बैरियर और अवैध कट पहले ही दिक्कत का कारण बने हुए हैं। नतीजा, सड़कों पर जोखिमभरा सफर और बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं। कुछ ऐसा ही है उत्तराखंड का परिदृश्य। सफर को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए तंत्र के साथ गण की अनदेखी भारी पड़ रही है।
पर्वतीय क्षेत्रों के सफर को सुरक्षित व सुगम बनाने के लिए आलवेदर रोड बनाई जा रही है। इसके अंतर्गत बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग, केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग, गंगोत्री व यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का कार्य हो रहा है। निर्माण कार्य के दौरान पहाड़ों को काटा जा रहा है। वहीं कुछ स्थानों पर पहाड़ कच्चा भी हो गया है। इस कारण यह संवेदनशील हो गई है। इससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। सिरोबगड़, नरकोटा, बांसवाड़ा, मुनकटिया, डोलिया देवी, परथाडीप, बाजपुर, क्षेत्रपाल, भनेरपानी, पागलनाला, लामबगड़ आदि ऐसे स्थान हैं, जहां बरसात में भूस्खलन से सड़क बाधित हो जाती है। इनका अभी तक पूरी तरह उपचार नहीं हो पाया है।