यूक्रेन से जंग में दुनिया का घाटा, पर भारत का कुछ नहीं जाता

इसी साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस ने अटैक कर दिया था। इसके बाद अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के कई देशों ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लागू किए थे। इसके चलते रूस तेल की आपूर्ति नहीं कर पा रहा था और ऐसे में उसने दामों कटौती कर दी थी। इसका सीधा फायदा भारत ने उठाया, जिसने अमेरिका समेत कई देशों के दबाव के बाद भी रूस से जमकर तेल की खरीद की थी। यही वजह है कि रूस अब भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले अग्रणी देशों में आ गया है। अप्रैल से जून तिमाही के दौरान रूसी क्रूड ऑइल सऊदी अरब से सस्ता रहा है। मई में तो यह 19 डॉलर प्रति बैरल तक कम था।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रूस से भारत को बढ़ी सप्लाई के चलते वह भारत को क्रूड बेचने वाले देशों में दूसरे नंबर पर आ गया है। इससे पहले सऊदी अरब को यह दर्जा हासिल था। फिलहाल भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले देशों में इराक पहले नंबर पर है और सऊदी दूसरे पायदान पर है। भारत और चीन ने यूक्रेन संकट के बाद से बड़े पैमाने पर रूस से तेल की खरीद की है। भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है। ऐसे में यूक्रेन संकट के बीच रूस के सस्ते तेल ने भारत के आयात बिल को कम करने में मदद की है। यही नहीं कोरोना के बाद से महंगाई और मंदी की आशंकाओं से निपटने में भी सहायता मिली है।

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