राष्ट्रपति मुर्मु ने शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय के नित्यानंद सभागार में तीसरे दीक्षा समारोह में देवभूमि उत्तराखंड को नमन करते हुए कहा कि मातृभाषा, मातृभूमि और मां दूसरों की नजरों में चाहे जैसे भी हों, वे अपनी ही होती हैं। आत्मनिर्भर भारत के लिए युवाओं को इन तीनों के प्रति कर्तव्यनिष्ठ होना आवश्यक है। हमें अपनी जमीन कभी भूलनी नहीं चाहिए। भारत के वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि अनेकता में एकता की हम बड़ी मिसाल हैं।
शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से पूरे राष्ट्र में बदलाव लाया जा सकता है। इसलिए शिक्षण संस्थान अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दें, ताकि छात्र तकनीकी कौशल से और अधिक संपन्न हों। स्वयं रोजगार तलाश करने के बजाय दूसरों को रोजगार उपलब्ध करा सकें। मुर्मु बोलीं कि किसी भी देश की प्रगति उसके मानव संसाधन की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। मानव संसाधन की गुणवत्ता, शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। महिला सशक्तीकरण के लिए उन्होंने बेटियां को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करने को कहा।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में सिविल सेवा के 97वें कामन फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए शुक्रवार का दिन खास रहा। देश की सेवा के लिए फील्ड में उतरने से पहले अधिकारियों को फाउंडेशन कोर्स के समापन अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की सीख और प्रेरणा को प्राप्त करने का अवसर मिला। प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें सिविल सेवकों से सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करनी चाहिए और हमें अधिकार भी है कि हर सिविल सेवक से सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा की जाए। जनता की समस्याओं को समझने के लिए अधिकारियों को आमजन से जुड़ना होगा और इसके लिए उन्हें विनम्र बनना होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि इस फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र ‘मैं नहीं, हम हैं’।
विश्वास है कि प्रशिक्षु अधिकारी सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाएंगे। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में अकादमी के आदर्श वाक्य ‘शीलम परम भूषणम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘चरित्र सबसे बड़ा गुण है’। सलाह दी कि ‘गुमनामी’, ‘क्षमता’ और ‘आत्मसंयम’ एक सिविल सेवक के आभूषण होते हैं। ये गुण उन्हें पूरी सेवा अवधि के दौरान आत्मविश्वास देंगे।
देवभूमि के प्रवास पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु यहां की आध्यात्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक थाती से अभिभूत दिखीं। शुक्रवार को राजभवन में संस्कृति और पर्यावरण के संगम ‘नक्षत्र वाटिका’ का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘बहुत अच्छी है नक्षत्र वाटिका’।राष्ट्रपति ने पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र से संबंधित आराध्य वृक्ष पलाश के पौधे का रोपण भी किया। इससे पहले राष्ट्रपति ने राजभवन परिसर में स्थित राज प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में विधिवत रूप से रुद्राभिषेक कर देश की सुख-समृद्धि की कामना की।