अमेरिका के वैश्वीकरण से वापस राष्ट्रीयता की तरफ आकर्षित होना, चीन के उत्कर्ष, ब्रेक्जिट के कारण यूरोपीय संघ पर संकट, वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर बड़े परिवर्तन के साथ ही रूस, तुर्किए (पहले तुर्की) एवं ईरान के द्वारा अपने गौरवशाली अतीत की वापसी के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के साथ तेजी से परिवर्तनशील विश्व में तकनीकी, संचार एवं व्यापार ने विश्व की महाशक्तियों एवं छोटे देशों की नीतियों के निर्धारण में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
भारत विश्व का एक अकेला ऐसा देश है जिसे इस विवाद में सभी पक्षों द्वारा लामबंद करने का प्रयास किया गया। रूस-यूक्रेन युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत विश्व में एकमात्र वैश्विक स्वर बनकर उभरा है एवं उसके हितों व आवाज को दबाया नहीं जा सकता है। भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को कायम रखते हुए रूस तथा पश्चिम के बीच एक समन्वय स्थापित करते हुए अपने हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर यह संदेश दिया है कि भारत की विदेश नीति के लिए अब उसके अपने हित सबसे महत्वपूर्ण हैं।