उत्तराखंड में पहली बार हुआ कि कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई। वर्ष 2017 के बाद 2022 में भी भाजपा ने कांग्रेस को दरकिनार कर सरकार बनाने का मौका हासिल किया। चुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुए तो इस कामयाबी के बाद धामी भाजपा के लकी चार्म हो गए हैं।
यह इस लिहाज से कि धामी हिमाचल विधानसभा चुनाव में बड़े स्टार प्रचारक की भूमिका में दिख रहे हैं। चुनाव अभियान में लगातार स्वयं को झोंके हुए हैं धामी। उत्तराखंड की तरह हिमाचल में भी हर चुनाव में सत्ता बदलने का मिथक रहा है, लगता है भाजपा जयराम ठाकुर को भी राह दिखा रही है कि धामी का सदुपयोग करें।
उत्तराखंड और हिमाचल में एक दिलचस्प समानता और भी है। इन दोनों पहाड़ी राज्यों का आकार भले ही छोटा है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कतार देहरादून-शिमला से दिल्ली तक बदस्तूर लगी है।
गैरसैंण, हजारों करोड़ के भारी-भरकम कर्ज तले दबे उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी। नौ नवंबर 2000 को जब उत्तरांचल, तब यही नाम था, देश के मानचित्र पर 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, देहरादून को अस्थायी राजधानी बनाया गया।