सरकारी योजनाओं में धांधली की पोल खोलती फिल्म

हिंदी सिनेमा के लिए दूसरी भाषाओं के सिनेमा से आए कलाकारों, तकनीशियनों और निर्देशकों ने काफी काम किया है। इनमें से एक नाम फिल्म ‘लुका छुपी’ से हिंदी फिल्म निर्देशक बने सिनेमैटोग्राफर लक्ष्मण उतेकर का भी है। इससे पहले वह दो फिल्में मराठी में भी निर्देशित कर चुके थे। संयोग ही है कि जियो स्टूडियोज की दो फिल्में ‘मुंबईकर’ और ‘जरा हटके जरा बचके’ इस शुक्रवार को रिलीज हो रही हैं और दोनों सिनेमैटोग्राफर से निर्देशक बने तकनीशियनों की हैं। उतेकर की पिछली फिल्म ‘मिमी’ सीधे ओटीटी पर रिलीज हुई। उतेकर की नई फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ भी जरा हटके है। अपने आसपास के समाज को सिनेमा को लाकर उस पर व्यंग्य कसने का साहस उन्होंने इस फिल्म में दिखाया है। पूरे देश में बंट रहे फ्री के पक्के मकानों के पीछे कैसे एक माफिया अपनी रोटियां सेकने में लगा हुआ है, इसका पर्दाफाश उनकी ये फिल्म बहुत ही अच्छे से करती है। हालांकि, फिल्म का प्रचार एक प्रेम कहानी के तौर पर हुआ है और अपने डीएनए से ये ‘लुका छिपी 2’ शीर्षक पाने की पूरी हकदार है।

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