उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सामान्य श्रेणी में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के चयन के नियमों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार और राज्य लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए दोनों को जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया।
इस संबंध में अदालत ने अंतरिम आदेश भी पारित किया और कहा कि उत्तराखंड संयुक्त राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2021 में पदों पर चयन के लिए आवेदन में छूट का लाभ (आयु सीमा, अनुभव, योग्यता, लिखित परीक्षा में भाग लेने के मौके) लेने वाले आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का परिणाम याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा। अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी। हल्द्वानी के निवासी बृजमोहन जोशी और उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के शादाब खान ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राज्य लोक सेवा आयोग के उन नियमों को चुनौती दी है, जो आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को सामान्य श्रेणी में चयनित होने की अनुमति देते हैं।
वहीं इस संबंध में केंद्र सरकार के एक निर्देश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने तर्क दिया कि किसी पद के लिए मानकों में छूट के साथ आवेदन करने वाला आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार केवल आरक्षित श्रेणी में ही चयनित हो सकता है और अनारक्षित श्रेणी के किसी भी उम्मीदवार से ज्यादा योग्य होने के बावजूद वह अनारक्षित श्रेणी में चयनित नहीं किया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का यह नियम मनमाना और केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के विरूद्ध है। याचिका में इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के विरूद्ध बताया गया है।