Global Warming से ग्लेशियरों की सेहत नासाज 455 मीटर पीछे खिसका गंगोत्री ग्लेशियर

 ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियरों की सेहत नासाज हो रही है। वर्ष 1989 से 2020 के बीच गंगोत्री ग्लेशियर गोमुख क्षेत्र में 455 मीटर पीछे खिसक गया है। भविष्य में यह स्थिति कई तरह की चुनौती खड़ी कर सकती है।

बढ़ते तापमान का असर उच्च हिमालयी क्षेत्र पर किस तरह पड़ेगा, इसके लिए इसरो के सेंटर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग (आइआइआरएस) ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में 16 ओपन टाप चेंबर (ओटीसी) लगाए गए हैं।

ओटीसी के भीतर मिक्स हर्बोरियर्स मिडो वनस्पति उगाई जा रही है। साथ ही इसमें लगे सेंसर से पांच से 15 मिनट के अंतराल में तापमान आदि के आंकड़े भी एकत्रित किए जा रहे हैं। यह जानकारी आइआइआरएस के विज्ञानियों ने उत्तरांचल यनिवर्सिटी में विज्ञान भारती और इसरो के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी आकाश तत्व में साझा की।

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