उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा के निर्वाचन मामले में दस्तावेजों की अपूर्णता के खिलाफ दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया। मामले की सुनवाई न्यायमर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ में हुई।
शर्मा के निर्वाचन को हरिद्वार के लक्सर निवासी वीरेन्द्र कुमार की ओर से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनौती दी गई है। प्रतिवादी शर्मा की ओर से प्रार्थना पत्र देकर आपत्ति दर्ज की गई कि याचिकाकर्ता की ओर से उन्हें चुनाव याचिका की सम्पूर्ण प्रति उपलब्ध नहीं करवाई गई है। उसमें फार्म 25 मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से इसका कड़ा प्रतिवाद किया गया और कहा गया कि प्रतिवादी इस बहाने मामले को लटकाना चाहते हैं। उन्हें सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए हैं। मामले को सुनने के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि शर्मा ने नामांकन पत्र में तथ्यों को छिपाया है।
वहीं आपराधिक संगीन अभियोगों का उल्लेख नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि शर्मा ने चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए धन का दुरुपयोग किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से शर्मा का निर्वाचन निरस्त करने की मांग की गई है।